सुकमा–सुकमा जिले का यह सरहदी इलाका नक्सलवादियों की जननी और संगठन के बेहद सुरक्षित पनाहगार के रूप में जाना जाता है। इस गांव में कैंप खोलने ...
सुकमा–सुकमा जिले का यह सरहदी इलाका नक्सलवादियों की जननी और संगठन के बेहद सुरक्षित पनाहगार के रूप में जाना जाता है। इस गांव में कैंप खोलने को लेकर कहा जा रहा है कि यह पुलिस का अब तक का सबसे खतरनाक कैंप हैं,
सुकमा के सरहदी गांव पुर्वर्ती है। लेकिन इसकी पहचान दुर्दांत नक्सली हिड़मा के गांव के रूप में की जाती है। यह इलाका नक्सलियों के मिलिट्री बटालियन नंबर १ का भी माना जाता है। इस गांव को बड़े नक्सलियों की जननी भी कहा जात है क्योंकि यहां 40 लाख के इनामी नक्सली हिड़मा और हाल ही में टेकलगुड़ा हमले का मास्टरमाइंड देवा जिस पर 10 लाख का इनाम घोषित है वो भी इसी गांव का है। इसके साथ ही यहां पापाराव, आरके जैसे नक्सलियों का बेहद सुरक्षित पनाहगार के रूप में जाना जाता रहा था। इसलिए इसे पुलिस के सबसे चुनौतीपूर्ण वाले कैंप के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन जवानों ने ना सिर्फ यहां तक अपनी पहुंच बनाई बल्कि नया कैंप स्थापित किया।
सुकमा पुलिस अपने इतिहास में अब तक का सबसे खतरनाक कैंप खोलने में सफलता हासिल की है। इसके लिए एसपी किरण चव्हाण खुद मौके पर मोर्चा संभाले हुए हैं।
कौन है हिड़मा व देवा
पूवर्ती गांव का रहने वाला हिड़मा 35से ज्यादा हमलों में शामिल रहा है। 2001 से नक्सल संगठन में काम कर रहा है। हिड़मा पर ताड़मेटला हमला, जिसमे 76 जवान बलिदान हुए थे, बुर्कापाल जिसमे 24 जवानों की शहादत हुई थी, ऐसी कई घटनाओ का मास्टरमाइंड माना जाता है। उस पर 25 लाख का इनाम घोषित है। वहीं हिड़मा चार लेयर के सुरक्षा घेरे में रहता है। वहीं बारसे देवा भी इसी गांव का है। बारसे देवा ने हाल ही 30 जनवरी को टेकलगुड़ेम में हमला किया था उसमें 3 जवान शहीद हुए थे। बारसे देवा झीरम जैसी घटनाओं में शामिल रहा है। वर्तमान में बटालियन की कमान देवा के हाथ मे है।
कब और कैसे भर्ती हुआ हिडमा नक्सल संगठन में
1996 में बदरना ने ही हिडमा को माओवादी संगठन में भर्ती किया।हिडमा ने 16 साल की उम्र में उसके गांव पूर्वती में माओवादियों की ग्राम राज्य कमेटी ने उसे चुना और भर्ती हुई ।
ट्रेनिंग के बाद हिडमा की पहली पोस्टिंग महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में की गई
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