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वीडियो–म्यूजियम में तब्दील होते जगदलपुर के पार्क..दम तोड़ते पार्क..और जेब भरते जिम्मेदार

जगदलपुर–अगर आप दैनिक दिनचर्या में थोड़ा सा सुकून महसूस करना चाहते है तो, पार्क का रुख करते है...रंग-बिरंगे फूल,हरियाली और पक्षियों की चह-चहा...

जगदलपुर–अगर आप दैनिक दिनचर्या में थोड़ा सा सुकून महसूस करना चाहते है तो, पार्क का रुख करते है...रंग-बिरंगे फूल,हरियाली और पक्षियों की चह-चहाहट अंदर से ऊर्जा से भर देती है...लेकिन जगदलपुर के पार्कों की बात करें तो यहां तस्वीर ही कुछ और है...

यहां वीरान पड़े पार्कों में टूटी टाइल्स...खुद कचरा बन चुके कूड़ेदान...दम तोड़ते झूले...सूखे पत्ते और दूर तक फैला सन्नाटा नजर आएंगा..वजह साफ है...रखरखाव की कमी...अनदेखी से यहां के पार्क उजाड़ बन चुके है...शहीद पार्क के बाहर वैसे तो एक तख्ती लटकती नजर आ जाएगी...जिसमें लिखा है कि प्रवेश निशुल्क है...लेकिन अंदर आने वाले लोगों की संख्या बेहद कम है...जो लोग आ रहें है , वो विकल्प ना होने के कारण आने को मजबूर है....

परिजन एक और दहशत के साथ पार्क में समय व्यतीत कर रहें है कि यहां के झूले कभी भी दम तोड़ सकते है,और बच्चे घायल हो सकते है....इस बारे में हमारे संवाददाता सुमित ने पड़ताल करते हुए सबसे पहले स्थानीय लोगों से बात की तो..उन्होंने भी हाल-ए नजारा पेश कर दिया..यहां तक की ये बातें भी सामने आई की अब ये पार्क नशे के अड्डे में तब्दील हो चुके है..

पार्क की बदहाली बया कर चुके है...लेकिन अब बात जिम्मेदारों की...हमने सबसे पहले निगम के नेता प्रतिपक्ष संजय पांडे से बात की ..तो उन्होंने बताया की करीब साढ़े 3 करोड़ की लागत से इन पार्कों को संवारने में खर्च किए थे...लेकिन ये खर्च केवल कागजों में हुए...बाकी पैसे दबा लिए गए...

वहीं निगम आयुक्त ने पार्क में हुई टूट-फूट के लिए आसामाजिक तत्वों को जिम्मेदार बताया...लेकिन सुरक्षा व्यवस्था के लिए क्या कदम उठाएं गए इस बारे में आयुक्त ने भविष्य में क्या कदम उठाएं जाएंगें...उनका जिक्र किया...ना कि अभी क्या किया जाएं...और ये स्थितियां क्यूं बन रहीं है...इस पर पर्दा डालते नजर आएं...खैर ...आरोप-प्रत्यारोप तो लगेगें ही...

लेकिन हम तो समस्या के समाधान के लिए निकले थे...इसीलिए महापौर से भी आग्रह किया...इस पर उन्होंने कहा कि सप्ताह में 2 दिन उनकी टीम पार्कों के रखरखाव के लिए काम करती है...वहीं पार्क में बढ़ती चोरी की वारदात से महापौर भी परेशान है...और वो प्रशासन से चौकीदारों की मांग भी कर चुकी है..

बहरहाल...दिलासे तो मिलते ही रहेंगे...बात तो तब है..जब प्रयास रंग लाएं...हम इस मुहिम में लोगों को जगाते रहेंगे...ताकि नन्हों को खेलने के लिए सुरक्षित पार्क और बुजुर्गों के लिए एक सुकून भरा वातावरण मिल सकें।





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