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खुलने से पहले ही चोरी का शिकार बनता Nagarnar Nmdc प्लांट...अंदर से किसने की मदद...प्रबंधन छुपाने...तो मीडिया जानने में जुटी

  जगदलपुर–Nagarnar Nmdc प्लांट का बनना यहां के लिए ही नहीं बल्कि पूरे छग के युवाओं के चेहरे पर मुस्कान ला रहा है...हो भी क्यों ना इससे हजारो...

 

जगदलपुर–Nagarnar Nmdc प्लांट का बनना यहां के लिए ही नहीं बल्कि पूरे छग के युवाओं के चेहरे पर मुस्कान ला रहा है...हो भी क्यों ना इससे हजारों लोगों को रोजगार मिल सकेगा...प्रदेश का विकास होगा...लेकिन हर बड़े काम में कुछ अड़चने भी आती है लिहाजा प्लांट के निजीकरण का काफी विरोध भी हो रहा है... क्योंकि केंद्र सरकार ने इस स्टील प्लांट के निजीकरण का फैसला लिया है और इसकी नीलामी में कई बड़ी कंपनियों ने टेंडर भी भरे..लेकिन इसकी उपलब्धियों की बात करें तो इसकी उत्पादन क्षमता 30 लाख टन से शुरू कर 2025 तक 3 करोड़ टन स्टील तक उत्पादन बढ़ाने की योजना है...यानि आने वाले समय में इस प्लांट से देश का करीब 10 फ़ीसदी स्टील का उत्पादन होने लगेगा...लेकिन इन उम्मीदों पर अभी से काले धब्बे नजर आने लगे है...प्लांट का काम करीब 90 फीसदी तक पूरा हो चुका है...

लेकिन इसके बनते – बनते ये मीडिया की सुर्खियों में रहने लगा है...बीते कुछ महिनों से प्लांट में बढ़ रहीं चोरी की वारदातें प्रशासन और प्रबंधन पर सावालिया निशान लगा रहीं है...हमने अपने चैनल Bastar Diary के माध्यम से आपको हर पल की खबर दी...कि कैसे सीसीटीवी कैमरे को धोखा देकर प्लांट में चोरी की घटनाओं को अंजाम दिया गया...और करीब 11 टन लोहे को गेट के पार बड़ी आसानी से ले जाया गया...मामला जब बड़ा तो प्रबंधन ने स्थिति को संभालने के लिए पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज कराई... जिसके बाद पुलिस को लाखों की कीमत का 11 टन आयरन स्ट्रक्चर कबाड़ी के यार्ड से बरामद हुआ है...इसमें पुलिस ने कबाड़ दुकान संचालक दो लोगों को गिरफ्तार कर किया था...और यहीं से परते खुलना शुरु हो गई थी...

कबाड़ियों से जब माल के बारे में पूछताछ की गई तो कॉन्ट्रेक्टर उमाशंकर पोद्दार का नाम समाने आया है..जिससे कबाड़ियों को 11 टन माल बेचा था...पुलिस को उमाशंकर तक पहुंचने में थोड़ा वक्त लगा और पुलिस ने उमाशंकर पोद्दार सहित 3 लोगों को गिरफ्तार कर लिया...इन तीन लोगों में प्रकाश सोनी और वशिष्ठ एम भी थे...या यूं कहें की इन तीनों की मिलीभगत से ही प्लांट में चोरियां हो रही थी...

पूछताछ में ये बात सामने आई है कि आरोपियों के बीच स्क्रैब को लेकर कमीशनबाजी भी हुई...आरोपियों ने प्लांट के गेट पर भी सौदेबाजी तय कर ली थी कि ....स्क्रैब को गेट के बाहर कैसे ले जाना है...लेकिन इन लोगों में इतनी हिम्मत आई कहां से...कैसे उनके लिए ये वारदात इतनी सहज हो गई...जबकि अगर हम उमाशंकर पोद्दार की कुंडली खंगाले तो-एक समय ऐसा था जब उमाशंकर पोद्दार गांव के गलियों में घूम घूम कर ब्रेड बेचा करता था...इसके बाद उसने नगरनार प्लांट में छोटे मोटे काम के उद्देश्य से एंट्री ली...और जान-पहचान बढ़ाने लगा...उमाशंकर ने पहले तो मिट्टी-गिट्टी की सप्लाई का काम शुरु किया...लेकिन शायद उसे अंदर चल रही गातिविधियों ने हवा दी और वो चोरी जैसे काम को अंजाम देने में जुट गया...ऐसा नहीं है कि उमाशंकर पोद्दार प्लांट में आकर ही अपराधिक प्रवृत्ति का बना ...जानकार बताते है कि बिहार का रहने वाले उमाशंकर पोद्दार कुछ समय पहले जगदलपुर से लगे खूटपदर में हुए एक गोली कांड में घायल हुआ था लेकिन प्लांट में आने के बाद उसने मोटा हाथ मारने का प्लान बनाया...और पकड़ा गया..

एक पहलु ये भी है कि जिनका नाम सामने आया है वो ही गुनहगार है...बल्कि ऐसे कई नाम है जिन्होंने उमाशंकर पोद्दार जैसे लोगों को अंदर से सपोर्ट किया...हालांकि प्रबंधन इस मामले में चुप्पी साधे हुए है...क्योंकि एक परत हटेगी तो...कई नामों के खुलासे हो सकते है...और शायद पुलिस ने भी कुछेक आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद मौन धारण कर लिया है...लेकिन हो ना हो...अभी बहुत कुछ ऐसा है जो जानना जरुरी है...और उस पर कार्रवाई भी...क्योंकि नाव में होने वाला छोटा सा छेद,उसे डुबोने के लिए काफी है।


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